उत्तराखंडराज्य

स्वस्थ शरीर के जरूरी है पारंपरिक आहार, योग और प्राणायाम : राज्यपाल

स्वस्थ शरीर के जरूरी है पारंपरिक आहार, योग और प्राणायाम : राज्यपाल

देहरादून : हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय द्वारा आज राजभवन में ‘समग्र चिकित्सा संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया। जिसमें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल ने कहा कि यह संगोष्ठी समाज को स्वस्थ रखने की दिशा में एक अहम पहल है। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तनाव आज की जीवनशैली से जुड़ी आम बीमारियाँ बन चुकी हैं, जो बुजुर्गों के साथ-साथ युवाओं को भी प्रभावित कर रही हैं।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की शुद्ध हवा, साफ पानी और शांत वातावरण स्वास्थ्य के लिए अनमोल हैं। लेकिन शहरीकरण, तकनीकी निर्भरता और भागदौड़ वाली दिनचर्या के कारण हमारा रहन-सहन और खान-पान अस्वस्थ हो गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे शांत, प्राकृतिक और आध्यात्मिक राज्य में भी इन बीमारियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, हमें अपनी जीवनशैली पर ध्यान देना होगा।

साथ ही उन्होंने लोगों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने और पारंपरिक आहार, योग, प्राणायाम और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ‘समग्र स्वास्थ्य’ का मतलब केवल बीमारी का इलाज नहीं है, बल्कि जीवनशैली, मानसिक शांति, सामाजिक जुड़ाव और आध्यात्मिक संतुलन को बनाए रखना भी जरूरी है।

संगोष्ठी में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा प्रदेश में स्वास्थ्य प्रणालियों को निरंतर सुदृढ़ किया जा रहा है। इस क्षेत्र में राज्य सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये। इसके अलावा स्वस्थ जीवनशैली के लिये लोगों को प्रेरित किया जा रहा है, स्कूलों में योग को अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।

संगोष्ठी में विभिन्न विशेषज्ञ डॉक्टरों ने समग्र स्वास्थ्य देखभाल के बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी प्रदान की। डॉ. रविकांत, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, एम्स ऋषिकेश ने हृदय रोगों, हाइपरटेंशन के बारे में बताया कि जीवनशैली की गड़बड़ियों के कारण हृदयाघात की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं और समय रहते जोखिम कारकों को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।

डॉ. वी. सत्यावली, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन, दून मेडिकल कॉलेज ने मधुमेह और उच्च रक्तचाप से बचाव और इनसे बचने के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि आज के युग की “साइलेंट किलर” बीमारियां हैं जो धीरे-धीरे किडनी फेलियर का कारण बनती हैं। डॉ. गौरव मुखीजा, बाल रोग विशेषज्ञ, दून मेडिकल कॉलेज ने बताया कि बच्चों में एनीमिया का मुख्य कारण पोषक तत्वों की कमी है। उन्होंने कहा कि संतुलित आहार, आयरन-सप्लीमेंटेशन एवं जनजागरूकता आवश्यक है। डॉ. नंदन एस. बिष्ट, आपातकालीन चिकित्सक, दून मेडिकल कॉलेज ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली में तनाव एक सामान्य स्थिति बन चुकी है, जो हृदय, मस्तिष्क और व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालती है। योग, ध्यान और समय प्रबंधन इसके प्रभावी समाधान हैं। संगोष्ठी में राज्यपाल, स्वास्थ्य मंत्री और उपस्थित अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के कई प्रकाशनों का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर सचिव राज्यपाल  रविनाथ रामन, सचिव  दीपक गैरोला, निदेशक एम्स ऋषिकेश प्रो. मीनू सिंह, कुलपति उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, कुलपति तकनीकी विश्वविद्यालय प्रो. ओंकार सिंह, प्राचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ. गीता जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आशीष उनियाल, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. शिखा जंगपांगी सहित राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी व कालेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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