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अंकिता भंडारी केस: नए ऑडियो से फिर उठा VIP की भूमिका का सवाल

भाकपा माले ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर राज्यपाल को भेजा ज्ञापन

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बहुचर्चित मामले में हाल ही में सामने आए कुछ कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग्स ने उस वीआईपी की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसकी चर्चा हत्या के बाद से लगातार होती रही है।

नए आरोपों के सामने आने के बाद भाकपा (माले) ने इस पूरे प्रकरण की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच कराए जाने की मांग करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि 18 सितंबर 2022 को हुए जघन्य अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुरू से यह आरोप लगता रहा है कि अंकिता पर किसी प्रभावशाली व्यक्ति को तथाकथित “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव बनाया जा रहा था और इंकार करने पर उसकी हत्या कर दी गई।

हालांकि, अदालत द्वारा दोषियों को सजा दी जा चुकी है, लेकिन यह अहम सवाल अब तक अनुत्तरित है कि वह वीआईपी कौन था, जिसकी वजह से यह अपराध हुआ।

भाकपा (माले) सचिव इंद्रेश मैखुरी ने हाल में उर्मिला सनावर नामक महिला द्वारा सार्वजनिक किए गए कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग्स का हवाला देते हुए कहा है कि इनमें ज्वालापुर से भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर बताए जा रहे व्यक्ति यह कहते सुने जा सकते हैं कि इस मामले में कथित वीआईपी भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम तथा भाजपा के उत्तराखंड संगठन महामंत्री अजय कुमार हैं। ऑडियो में यह दावा भी किया गया है कि दुष्यंत कुमार गौतम के विरुद्ध महिला संबंधी सात मामलों की शिकायतें भाजपा हाईकमान से की गई हैं।

पार्टी का कहना है कि ये सभी आरोप अत्यंत गंभीर और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक हैं, जिनकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
भाकपा (माले) ने मांग की है कि कथित वीआईपी व्यक्तियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर), मोबाइल लोकेशन और सामने आए ऑडियो रिकॉर्डिंग्स की फॉरेंसिक जांच कराई जाए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पूर्व में उत्तराखंड पुलिस की एसआईटी द्वारा की गई जांच वीआईपी की पहचान उजागर करने में असफल रही, जिससे राजनीतिक दबाव की आशंका और मजबूत होती है।

पार्टी ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि नए तथ्यों के आलोक में इस मामले की जांच प्रदेश से बाहर की किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराई जाए और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएं।
महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चिंता जताते हुए ज्ञापन में कहा गया है कि कुलदीप सेंगर और बिलकिस बानो जैसे मामलों में दोषियों को मिली रियायतों जैसे उदाहरण उत्तराखंड में नहीं दोहराए जाने चाहिए। आरोपी चाहे कितने भी ताकतवर और रसूखदार क्यों न हों, उन्हें कानून और न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाना जरूरी है।

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