उत्तराखंडराज्य

अंकिता भंडारी हत्याकांड की सुनवाई हुई पूरी, 30 मई को आ सकता है फैसला

दो साल की लंबी सुनवाई के बाद कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

कोटद्वार: उत्तराखंड को झकझोर देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड में अब न्याय का इंतजार खत्म होने की ओर बढ़ रहा है। कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में दो वर्षों से चल रही सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख दिया है। माना जा रहा है कि इस मामले में 30 मई 2025 को फैसला आ सकता है।

सोमवार को हुई अंतिम सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने सख्त से सख्त सजा की मांग करते हुए तीनों आरोपियों – पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता – को कठोरतम दंड देने की अपील की।

500 पन्नों की चार्जशीट, 97 गवाह, और दो वर्षों की लंबी लड़ाई
अंकिता भंडारी, यमकेश्वर स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी,18 सितंबर 2022 को सामने आए इस मामले में अंकिता भंडारी की हत्या कर शव को चीला शक्ति नहर में फेंक दिया गया था। जांच में सामने आया कि हत्या से पूर्व अंकिता ने खुद को असुरक्षित महसूस होने की बात कही थी, और इस संबंध में अपनी कुछ कॉल्स व चैट्स भी मित्रों को भेजी थीं।पुलिस जांच और एसआईटी की कार्रवाई के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और आपराधिक साजिश जैसे संगीन आरोपों में मामला दर्ज हुआ। अदालत में दाखिल करीब 500 पन्नों की चार्जशीट में कुल 97 गवाहों को शामिल किया गया, जिनमें से 47 को कोर्ट में परीक्षित किया गया।

वीआईपी एंगल से लेकर बुलडोजर तक उठे कई सवाल
इस केस ने वीआईपी कल्चर और सत्तासीन दल की भूमिका को लेकर भी कई सवाल खड़े किए। कथित वीआईपी को ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने के लिए हुए विवाद से शुरू हुई घटनाएं अंकिता की हत्या तक जा पहुंचीं। अंकिता ने इस बात का जिक्र अपने मित्र पुष्पदीप से भी किया था, जिसने वीडियो बयान में इसका खुलासा किया।लेकिन अफसोस उस वीआईपी को आरोपी नही बनाया गया और ना ही पुलिस ने इस ओर जांच की। जबकि अंकिता के परिजनों ने साफ नाम लेकर वीआईपी के खिलाफ भी एफआईआर कराने की मांग की थी।हालांकि, सरकार की ओर से विधानसभा में सफाई दी गई कि ‘वीआईपी’ शब्द का अर्थ केवल वीआईपी रूम था, लेकिन अंकिता की मां ने भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का नाम लेकर हलचल मचा दी थी।

वनंत्रा रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाए जाने की घटना ने भी कई सबूतों के नष्ट होने की आशंका को जन्म दिया। वहीं, रिसॉर्ट से जुड़े कई स्थलों पर आग लगने की घटनाओं ने भी संदेह को गहरा किया।लोगो का आरोप है कि उस कथित वीआईपी के वहां रूके रहने के सबूत मिटाने के लिए ही बुलडोजर चलाया गया। इस मामले में लोगों ने विधायक रेणु बिष्ट और एसडीएम की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए।जन आक्रोश और राजनीतिक उठापटक
इस मामले में जनता ने खुलकर विरोध जताया, भाजपा विधायक रेणु बिष्ट को भी विरोध का सामना करना पड़ा। वहीं, कांग्रेस और अन्य जन संगठनों ने समय-समय पर कोटद्वार और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन कर न्याय की मांग की। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया और न्याय यात्रा भी निकाली गई।वहीं भाजपा की महिला नेताओं की चुप्पी भी जनता की नजरों में खटकती रही। नार्को टेस्ट जैसे अहम बिंदुओं पर भी कोई ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई।

 

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