राजनीति

भाजपा पंजाब में अकेले लड़ेगी लोकसभा चुनाव, SAD से कोई गठबंधन नहीं

चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को पंजाब में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की, जो शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से फिर से गठबंधन करने संबंधी बातचीत की अटकलों के खत्म होने का संकेत है। भाजपा के अकेले चुनाव लड़ने से आम चुनाव में इस सीमावर्ती राज्य में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। पंजाब में 13 लोकसभा सीटों के लिए मतदान सात चरणों के चुनाव के अंतिम चरण में, एक जून को होगा. यह घोषणा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भाजपा में संसदीय चुनाव के लिए फिर से गठबंधन करने संबंधी बातचीत की अटकलों के बीच की गयी है।

भाजपा की पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, ‘‘भाजपा पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने जा रही है।” उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले ‘फीडबैक’ के बाद यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के भविष्य और युवाओं, किसानों, व्यापारियों, मजदूरों तथा वंचित वर्गों की बेहतरी के लिए यह फैसला लिया गया है।

जाखड़ ने विश्वास जताया कि पंजाब के लोग एक जून को बड़ी संख्या में भाजपा के लिए मतदान कर उसे और मजबूत बनाएंगे।

तकरीबन एक सप्ताह पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिअद से गठबंधन की संभावना पर कहा था, ‘‘बातचीत की जा रही है. हम सभी राजग दलों को एक साथ लाना चाहते हैं।” हालांकि, शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल भाजपा के साथ बातचीत के मुद्दे पर कुछ कहने से बचते रहे।

शिअद ने अब निरस्त किए कृषि कानूनों को लेकर सितंबर 2020 में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से संबंध तोड़ लिए थे। दोनों दलों ने 1996 में गठबंधन बनाया था और एक साथ मिलकर चुनाव लड़ते रहे. 2019 में उन्होंने पंजाब में दो-दो लोकसभा सीट जीती थी।

जाखड़ ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा द्वारा किए काम किसी से छिपे नहीं हैं।” भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि पिछले 10 साल में किसानों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी गयी है तथा किसानों को एक सप्ताह में उनके बैंक खातों में पैसा मिला है।

बताया जाता है कि भाजपा पंजाब में 13 में से छह लोकसभा सीटें मांग रही थी जबकि अकाली इस पर राजी नहीं थे।  लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का संकेत देते हुए शिअद ने शुक्रवार को अपनी कोर समिति की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि वह ‘‘सिद्धांतों को राजनीति से ऊपर रखना जारी रखेगी।”

प्रस्ताव में केंद्र से अपनी जेल की सजा पूरी कर चुके ‘बंदी सिंहों’ (सिख कैदियों) की रिहाई के लिए अपनी ‘‘स्पष्ट रूप से लिखित प्रतिबद्धता” का सम्मान करने का अनुरोध किया था। उसने यह भी कहा था कि शिअद किसानों और कृषि मजदूरों के हितों की वकालत करता रहेगा और उनसे किए सभी वादे पूरे किए जाने चाहिए।

 

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