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बूंखाल मेला उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक– बालकृष्ण

  • मेले से सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को मिलती है मजबूती

पौड़ी: विकासखंड थलीसैंण क्षेत्र में आयोजित प्रसिद्ध बूंखाल कालिंका मेले में आज श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
तड़के सुबह से ही भक्तों का आना-जाना लगातार जारी रहा। मेले में पहुंचकर पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विधिवत पूजा-अर्चना की और आयोजन में प्रतिभाग किया।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि बूंखाल मेला उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का अद्वितीय प्रतीक है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि बूंखाल मेला सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण आयोजन है।उन्होंने सुरक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, शटल सेवा और अन्य सुविधाओं को उत्कृष्ट बताते हुए प्रशासन की सराहना की।
उन्होंने बताया कि बूंखाल कालिंका मंदिर का भव्य निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है और जल्द पूरा होने पर श्रद्धालुओं को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। इस दौरान उन्होंने मेले में आए श्रद्धालुओं को भंडारे में प्रसाद वितरण भी किया।

मेले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पुलिस-प्रशासन की ओर से पर्याप्त बल तैनात किया गया था। पेयजल, चिकित्सा, साफ-सफाई और पार्किंग की सुविधाएं भी सुव्यवस्थित रखीं गयीं, जिससे श्रद्धालुओं को पूरे दिन किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
इस अवसर पर संयुक्त मजिस्ट्रेट दीक्षिता जोशी, सीओ श्रीनगर अनुज कुमार, बूंखाल चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र सिंह नेगी, मंदिर के मुख्य पुजारी रमेश गोदियाल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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