
देहरादून: उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट), विज्ञान धाम, देहरादून में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आई.आई.पी.ए.), नई दिल्ली द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत गंगा नदी के हितधारकों हेतु “गंगा विज्ञान संवाद” का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पूर्व गृहमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती पर उनके सराहनीय योगदान को याद किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक यूकॉस्ट ने गंगा पुनर्जीवन हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और परिषदों को समुदायों के साथ जुड़कर इस दिशा में सक्रिय योगदान देना चाहिए।
यूकॉस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डी. पी. उनियाल ने हिमालय संरक्षण और जैव विविधता बचाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “यदि हिमालय सुरक्षित है तो सम्पूर्ण विश्व सुरक्षित है।” उन्होंने गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों को आवश्यक बताया।
शिक्षाविद् प्रहलाद अधिकारी ने गंगा को मात्र नदी न मानकर आय, भोजन और आजीविका का प्रमुख स्रोत बताया। इसी क्रम में आई.आई.पी.ए. टीम की ओर से मिशन की गतिविधियों पर आधारित एक वीडियो प्रस्तुति भी प्रदर्शित की गई।
आई.आई.पी.ए. की शोध अधिकारी डॉ. महियान कुसलूम ने नमामि गंगे मिशन के उद्देश्यों, रणनीतियों और जिला गंगा समितियों की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। वहीं सुश्री गुलनार फातिमा ने ब्लेंडेड क्षमता निर्माण कार्यक्रम की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसे गंगा, उसकी सहायक नदियों और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण बताया।
साइंस सिटी के सलाहकार जी. एस. रौतेला ने कहा कि गंगा संरक्षण के लिए जन-जागरूकता बढ़ाने में विज्ञान संचार और सोशल मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
अंत में, यूकॉस्ट के आंचलिक विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. ओ. पी. नौटियाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन यूकॉस्ट के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा ने किया।