उत्तराखंडराज्य

देहरादून में शुरू हुई फ्री ‘सखी कैब’ सेवा

ऑटोमेटेड पार्किंग से यात्रियों को मिलेगा निःशुल्क आने-जाने का साधन, जल्द जुड़ेंगे 6 नए ईवी वाहन

देहरादून: शहर में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने और पार्किंग की समस्या से राहत दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने एक सराहनीय पहल की है। प्रशासन द्वारा ऑटोमेटेड पार्किंग सुविधा के तहत ‘‘फ्री सखी कैब’’ सेवा की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, देहरादून को दो नई ईवी (टाटा पंच) वाहन आवंटित किए गए हैं, जो पार्किंग में वाहन खड़ा करने वाले लोगों को नजदीकी भीड़भाड़ वाले स्थानों तक निःशुल्क लाने और ले जाने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।

जल्द ही इस बेड़े में छह अतिरिक्त ईवी वाहन जोड़े जाएंगे, जिससे नागरिकों को और अधिक सुविधा मिल सकेगी। ये सभी वाहन पीपीपी मॉडल पर संचालित किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री धामी के मार्गदर्शन में शहर को मिलेगी ट्रैफिक से राहत

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में जिलाधिकारी सविन बंसल ने शहर को ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने और पार्किंग व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए तीन नई ऑटोमेटेड पार्किंग सुविधाओं का निर्माण करवाया है।

इनमें शामिल हैं:

परेड ग्राउंड पार्किंग – 111 वाहनों की क्षमता

तिब्बती मार्केट पार्किंग – 132 वाहनों की क्षमता

कोरोनेशन पार्किंग – 18 वाहनों की क्षमता

कुल 261 वाहनों की क्षमता वाली ये तीनों पार्किंग सुविधाएं जल्द ही मुख्यमंत्री धामी द्वारा जनता को समर्पित की जाएंगी।

5 किमी दायरे में फ्री शटल कैब सेवा

फ्री ‘सखी कैब’ सेवा के अंतर्गत घंटाघर, गांधी पार्क, सुभाष रोड और परेड ग्राउंड के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में निःशुल्क शटल सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इस सेवा से पार्किंग से अपने गंतव्य तक पहुंचना अब आसान और सुरक्षित हो गया है।

अनधिकृत पार्किंग पर सख्त कार्रवाई

प्रशासन और पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अब शहर की सड़कों पर अवैध रूप से खड़े वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दिशा में पिछले एक माह से एक डेडिकेटेड क्रेन भी तैनात की गई है, जो अनधिकृत पार्किंग करने वालों पर तत्काल कार्रवाई करेगी।

एनआरएलएम योजना के तहत संचालन

देहरादून की परेड ग्राउंड पार्किंग का संचालन वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत गठित कृष्णा स्वयं सहायता समूह, विकासनगर द्वारा किया जा रहा है। इस पहल से न केवल शहरवासियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि महिला स्वयं सहायता समूहों को भी आजीविका के नए अवसर प्राप्त होंगे।

 

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