
देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) की पहल पर सोमवार को राजभवन में दून विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। यह उत्तराखंड में किसी राज्य विश्वविद्यालय और एनआरडीसी के बीच हुआ अपनी तरह का पहला समझौता है।
एनआरडीसी, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का उपक्रम है, जिसका उद्देश्य अनुसंधान, नवाचार और बौद्धिक संपदा के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है।
राज्यपाल ने इसे प्रधानमंत्री के “विकसित भारत 2047” विजन की दिशा में एक अहम कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता दून विश्वविद्यालय को उद्योगों, स्टार्टअप्स और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जोड़ेगा, जिससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और बाहरी वित्तीय निर्भरता घटेगी। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षण केंद्र नहीं, बल्कि नवाचार और ज्ञान आधारित विकास के प्रेरणास्तल होने चाहिए।
एनआरडीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कमोडोर अमित रस्तोगी ने कहा कि एनआरडीसी विश्वविद्यालय को पेटेंट फाइलिंग, तकनीकी सहयोग और स्टार्टअप्स से जोड़ने के लिए हरसंभव सहायता करेगा, जिससे प्रदेश की आर्थिक प्रगति को गति मिलेगी।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय के विज्ञान, पर्यावरण, भौतिकी, रसायन, गणित, कंप्यूटर, भूविज्ञान और डिजाइन स्कूल जैसे विभाग अब अपने शोध को बौद्धिक संपदा निर्माण और व्यावसायीकरण की दिशा में केंद्रित कर रहे हैं।
इस अवसर पर सचिव रविनाथ रामन, अपर सचिव रीना जोशी, एनआरडीसी के उप महाप्रबंधक एन. जी. लक्ष्मीनारायण, दून विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. अरुण कुमार, वित्त नियंत्रक स्मृति खंडूरी, कुलसचिव दुर्गेश डिमरी, विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी, एनआरडीसी से प्रियंका असवाल तथा राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।