
- सचिव आपदा प्रबंधन ने जिलाधिकारियों संग की बैठक
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आपदा में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर मृतक आश्रित को अनुग्रह राशि 72 घंटे के भीतर दी जाए।
यदि पहचान अथवा अन्य कारणों से विलंब हो तो हर हाल में एक सप्ताह के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
गुरुवार को सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर मुख्यमंत्री के निर्देशों से अवगत कराया।उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में मौसम विभाग द्वारा जारी ऑरेंज अलर्ट को देखते हुए जिलों को सतर्क रहना होगा। नदी-नालों के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जाए और अब तक हुई क्षति की विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी जाए ताकि एसडीआरएफ व एसडीएमएफ मद से भारत सरकार से अतिरिक्त सहायता मांगी जा सके। सचिव ने स्पष्ट किया कि राहत एवं पुनर्निर्माण के लिए जिलों को उपलब्ध धनराशि का समय पर उपयोग होना चाहिए।
राज्य आपदा प्रबंधन उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला ने कहा कि मानसून का डेढ़ महीना शेष है, ऐसे में सभी जिलों को अलर्ट रहना होगा। संवेदनशील स्थानों पर साइनेज लगाने, जागरूकता बढ़ाने और रोजाना समीक्षा बैठक करने के निर्देश भी दिए गए।
हर तहसील में रेस्क्यू व्हीकल, हेलीपैड का होगा ऑडिट
भारत सरकार की टीम करेगी क्षति का आकलन, टिहरी बांध से पानी छोड़े जाने पर अलर्ट
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि प्रत्येक तहसील में आपदा राहत कार्यों के लिए रेस्क्यू व्हीकल खरीदा जाएगा। उन्होंने जिलों की क्विक रिस्पॉन्स टीमों की कार्यप्रणाली पर भी चर्चा की और प्रत्येक माह की 01, 11 व 21 तारीख को बैठक कर रिपोर्ट साझा करने के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि जल्द ही भारत सरकार की सात सदस्यीय टीम राज्य में आपदा व अतिवृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने आ रही है। जिलाधिकारियों को पूर्व तैयारी करने को कहा गया है ताकि वास्तविक स्थिति प्रस्तुत की जा सके।
सचिव ने टिहरी, देहरादून और हरिद्वार जिलों को गंगा नदी के जलस्तर पर सतर्क निगरानी रखने तथा टिहरी बांध से पानी छोड़े जाने की सूचना समय से साझा करने के निर्देश दिए।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप ने कहा कि आपदा संबंधी सूचनाएं हर समय अपडेट रहनी चाहिए और खर्च की गई राशि की रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। वहीं, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी ने संवेदनशील रिहायशी क्षेत्रों की पहचान करने और उपयोग में न आ रहे हेलीपैडों का ऑडिट करने को कहा ताकि आकस्मिक स्थिति में उनका उपयोग किया जा सके।