
देहरादून: ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ व एमडी रह चुके प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ० सुधीर मिश्रा ने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल की न्यू जनरेशन की मारक क्षमता और अधिक होगी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को भारत की शक्ति का अहसास करा दिया है। डॉ० मिश्रा आज ग्राफिक एरा के करियर काउंसलिंग समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
युवाओं को उनकी रुचि और क्षमताओं के मुताबिक करियर चुनने में मदद करने के लिए ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी ने इस बड़े समारोह का आयोजन किया। समारोह में डॉ० सुधीर मिश्रा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। सीजफायर पाकिस्तान की जरूरत थी, भारत की नहीं। ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को भारत की ताकत का अहसास हो गया है।
ब्रह्मोस मिसाइल तैयार करने वाली टीम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ० मिश्रा ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर के सदस्य भी हैं। आज समारोह में पहुंचने पर एनसीसी कैडेट्स ने फूलों की बारिश करके उनका स्वागत किया। उन्होंने मिसाइल मैन डॉ० ए पी जे अब्दुल कलाम के ब्रह्मोस बनाने की शुरुआत करने से लेकर इसे तैयार किये जाने तक की दास्तान सुनाई। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस दुनिया की पहली और अब तक की एकमात्र मिसाइल है जो सबसे तेज उड़ती है। इसकी रेंज 30 किलोमीटर से लेकर 300 किलोमीटर तक है और जल, थल और नभ तीनों से इसे चलाया जा सकता है। इसका निशाना सटीक है। न्यू जनरेशन की ब्रह्मोस और ज्यादा प्रभावी होगी। इसका वजन कम करने और रेंज बढ़ाने के लिए कार्य किये जा रहे हैं। ब्रह्मोस भारतीय समुद्र और बंगाल की खाड़ी में तो सुरक्षा करता ही है, साथ ही जापान से लेकर इजिप्ट तक को सुरक्षा प्रदान करता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से देश को दुनिया में नंबर वन बनाने के लिए अपनी पूरी क्षमता से कार्य करने का आह्वान किया। डॉ मिश्रा ने कहा कि एयरोस्पेस के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ गये हैं।
ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने मेगा काउंसिलिंग समारोह में इंजीनियरिंग करने से लेकर अब तक के अपने सफर पर प्रकाश डाला और युवाओं को इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, कम्प्यूटर एप्लीकेशन समेत विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध रोजगार के अवसरों और स्टार्ट अप के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। डॉ घनशाला ने कहा कि अब सभी विषयों को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ दिये जाने के कारण बीकॉम, फाइन आर्ट्स, इंग्लिश ऑनर्स जैसे विषयों के छात्र छात्राओं के लिए भी आईटी कम्पनियों में अच्छे पद पाने के अवसर बढ़ गये हैं।
चेयरमैन डॉ घनशाला ने कहा कि ग्राफिक एरा छात्र छात्राओं को नई तकनीकों से जोड़ने के साथ ही प्रतिस्पर्धाओं के लिए भी तैयार करता है। नई तकनीकों से जोड़ने के लिए ग्राफिक एरा में टाटा के सहयोग एक्सीलेंस सेंटर बनाया गया है। ग्राफिक एरा ने आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस सिखाने की तकनीकों पर 22 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इसके साथ ही अमेजॉन वेब सर्विसेज के साथ मिलकर देश का पहला फ्यूचर रेडी जेन ए.आई. कैम्पस बनाया गया है। क्वांटम कम्प्यूटिंग का एक्सीलेंस सेंटर बनाया जा रहा है। एप्पल के साथ मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन आई ओ एस डेवलपमेंट लैब बनाई जा रही है। यह अगले महीने तैयार हो जाएगी। छात्र छात्राओं को दुनिया की सबसे नई टेक्नोलॉजी से जोड़ने की दिशा में ये बड़े कदम हैं।
उन्होंने कहा कि आज के हालात में एयरोस्पेस के क्षेत्र में युवाओं की दिलचस्पी और करियर बनाने की संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं। अब युवा ड्रोन और मिसाइल टेक्नोलॉजी में भविष्य देखने लगे हैं। समारोह में यूनिवर्सिटी के टेक इनोवेशन के प्रमुख श्री तेजस्वी घनशाला, अमेजॉन वेब सर्विसेज के पदाधिकारी रोहित शर्मा, डीन लॉ डॉ डेजी एलेक्जेंडर, करियर सर्विसेज एंड स्टूडेंट एक्सपीरियंस के जीएम अंशुल नंदा, डीन स्कूल ऑफ डिजाइन डॉ सौरभ कुमार, फैशन डिजाइनिंग की एचओडी डॉ ज्योति छाबड़ा ने भी युवाओं को करियर बनाने के संबंध में सुझाव दिये। संचालन साहिब सबलोक ने किया।
इस अवसर सिल्वर जुबली कंवेंशन सेंटर में ग्राफिक एरा के स्टार्ट अप सेंटर टीबीआई में स्टार्ट अप शुरु करने वाले युवाओं की कम्पनियों के उत्पादों, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में तैयार ड्रोन और विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी में भी काफी भीड़ रही। युवाओं के लिए कई तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में युवाओं की रुचि बढ़ी
मेगा करियर काउंसलिंग में युवाओं ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी दिखाई।
ग्राफिक एरा के सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर में आयोजित मेगा करियर काउंसलिंग में हजारों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस ज्ञानवर्धक करियर काउंसलिंग की विशेष बात या रही की हाल ही में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि में युवाओं में देश भक्ति की भावना और वैज्ञानिक तकनीकों में रुचि ने एक नई क्रांतिकारी दिशा ली है। युवाओं ने खासतौर पर एयरोस्पेस इंजीनियरिंग को लेकर गहरी दिलचस्पी दिखाई और इस क्षेत्र को अपने भविष्य के करियर विकल्पों के रूप में अपनाने की इच्छा जताई।