उत्तराखंड

एम्स ऋषिकेश में इंटिग्रेटिव एवं कॉम्प्लिमेंट्री मेडिसिन विषय पर कार्यशाला का आयोजन

एम्स ऋषिकेश : एम्स,ऋषिकेश के आयुष विभाग एवं कॉलेज ऑफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में इंटिग्रेटिव एवं कॉम्प्लिमेंट्री मेडिसिन विषय पर वृहद कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने कहा कि एलोपैथी के साथ- साथ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं सिद्धा चिकित्सा पद्धतियों का सहयोग लेने से पेशेंट्स की बीमारी का समाधान जल्द संभव है, साथ ही इससे मरीज की चिकित्सा और अधिक सरल हो जाती है और इसके लाभ कई गुना अधिक बढ़ जाते हैं। कार्यशाला में एमएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।

एम्स नर्सिग कॉलेज परिसर में संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस मौके पर निदेशक एम्स ने इंटिग्रेटिव मेडिसिन में विभिन्न चिकत्सा पद्धतियों का समागम चिकित्सा में सुगम व स्वीकार्य हो जाता है एवं इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।

निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में हम अनुसंधानों को बढ़ाने का प्रयास करेंगे, क्योंकि यह समय की मांग है। उन्होंने इस विषय पर विभिन्न कोर्स तैयार कर ट्रेनिंग की आवश्यकता है, इससे चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे। जो मरीजों के लिए सुखद व बेहतर परिणाम लेकर आएंगे। कार्यवाहक संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. शैलेंद्र हांडू ने नर्सिंग व आयुष विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला की सराहना की और साथ ही कहा कि इस तरह के कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिंए, जिससे विद्यार्थियों एवं मरीजों को लाभ मिल सके।

नर्सिंग प्राचार्य प्रो. स्मृति अरोड़ा ने कहा कि एमएससी नर्सिग कोर्स में इस तरह की कार्यशालाएं नर्सिंग स्टूडेँट्स को और भी दक्ष बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी और इसका फायदा मरीजों के साथ साथ नर्सिंग स्कॉलर्स को भी मिल सकेगा। इस अवसर पर बतौर विशेषज्ञ नर्सिंग फैकल्टी रूपेंद्र देयोल ने इंटिग्रेटिव एवं कॉम्प्लिमेंट्री मेडिसिन में शामिल विभिन्न पद्धतियों की विस्तृत जानकारी दी और देश- विदेश में इन चिकित्सा पद्धतियों के उपयोग पर प्रकाश डाला।

डॉ. श्वैता मिश्रा ने प्राकृतिक चिकित्सा की विभिन्न उपचार विधियों की जानकारी दी और कहा कि इन पद्धतियों का उपयोग करके बहुत सी बीमारियों से बचाव के साथ ही कई बीमारियों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। डॉ. श्वैता ने बताया कि यही एविडेंस बेस्ड मेडिसिन है जो कि विश्व स्तर पर स्वीकार्य है। यह पेशेंट के क्वालिटी ऑफ लाइफ में सकारात्मक बदलाव लाता है।

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी आयुष डॉ. श्रीलोय मोहंती ने बताया कि किस तरह से योग विधाओं पर अनुसंधान किए जा रहे हैं। साथ ही यह विधाएं किस तरह से अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलकर मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं इसकी विस्तृत जानकारी दी। डॉ. राहुल काटकर ने आयुर्वेद के विभिन्न पहलओं की जानकारी दी और इस प्रणाली की दवाओं और उपचार विधियों पर फोकस डाला। डॉ. मृणालिनी ने सिद्धा चिकित्सा पद्धति जो कि मूलरूप से तमिलनाडु की चिकित्सा पद्धति है पर प्रकाश डाला और बताया कि इस चिकित्सा प्रणाली का स्कीन डिजीज में बेहतर परिणाम है। उन्होंने बताया कि इस पद्धति पर कई अनुसंधान हुए हैं, जो कि सफल रहे। इस अवसर पर योगाचार्य दीपचंद जोशी ने योग सत्र में प्रतिभागी नर्सिंग स्टूडेंट्स को विभिन्न यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कराया।

इस अवसर पर आयोजन समिति आयुष विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी श्रीलोय मोहंती व नर्सिंग कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर राखी मिश्रा के अलावा नर्सिंग फैकल्टी जैवियर वैल्सीयाल, राजेश कुमार, प्रसन्ना जैली, डॉ. राकेश शर्मा, मलार कोडी, मनीष शर्मा, रूचिका रानी, नर्सिंग ट्यूटर आस्था आदि मौजूद थे।

 

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