
देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को रजिस्ट्रेशन के साथ डेस्टिनेशन तय करने का तुगलकी फरमान जारी होने के बाद चार धाम यात्रा से जुड़े सभी वर्गों में खासी नाराजगी है। होटल एसोसिएशन, तीर्थ पुरोहितों और व्यापार सभा से जुड़े लोग इस आदेश का विरोध कर रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया जाता, तो वे जल्द ही सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इस संबंध में अगले हफ्ते देहरादून में एक महासभा भी बुलाई गई है।
विगत दिनों राज्य कैबिनेट द्वारा रजिस्ट्रेशन के साथ डेस्टिनेशन तय करने संबंधी एक प्रस्ताव पर सहमति दी गई थी, जिससे यात्रा से जुड़े सभी लोग खासे नाराज हैं। तीर्थाटन और पर्यटन से जुड़े लोग इसे न केवल यात्रियों के लिए परेशानी का कारण मान रहे हैं, बल्कि इसका असर उनके कारोबार पर भी पडऩे की आशंका जताई जा रही है। चार धाम होटल एसोसिएशन, व्यापार सभा और तीर्थ पुरोहितों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसमें सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की अपील की गई है। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता ने कहा कि इस फैसले से व्यापारी और होटल मालिकों में चिंता का माहौल है।
यमुनोत्री घाटी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शोभन सिंह राणा ने भी इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ तीर्थ पुरोहित, होटल एसोसिएशन और व्यापार सभा से जुड़े लोग एक महासभा आयोजित करेंगे, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। केदार घाटी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम दत्त गोस्वामी और चार धाम व्यापार सभा के अध्यक्ष चंडी प्रसाद तिवारी ने कहा कि इस तरह के आदेश यात्रा को प्रभावित करने के साथ ही कारोबारी गतिविधियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। उन्होंने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की।