
- जल संरक्षण और तकनीकी नवाचारों को मिलेगी प्राथमिकता
- सौर ऊर्जा के प्रयोग पर दिया विशेष जोर
देहरादून: राज्य के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभागों की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में प्रदेश में संचालित विभिन्न योजनाओं की प्रगति, चुनौतियों एवं संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के दौरान विभागीय सचिव श्री आर. राजेश कुमार ने दोनों विभागों की गतिविधियों पर आधारित विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
समयबद्ध परियोजनाओं की प्राथमिकता
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सिंचाई विभाग की सभी बड़ी परियोजनाओं को निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण किया जाना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक परियोजना के प्रारंभ से लेकर समाप्ति तक की तिथियाँ पूर्व निर्धारित की जाएं और उन पर सख्ती से अमल हो। उन्होंने सचिव एवं विभागाध्यक्ष स्तर पर निरंतर अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) किए जाने पर बल दिया, ताकि समयबद्धता सुनिश्चित की जा सके।
मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि राज्य के सिंचित एवं असिंचित क्षेत्रों की माप और विश्लेषण के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई और जल संरक्षण की आवश्यकता अधिक है, उन्हें योजनाओं में प्राथमिकता दी जाए।
स्थानीय स्तर पर संचालन और अनुसंधान को बढ़ावा
मुख्य सचिव बर्द्धन ने कहा कि नहर, नलकूप और लिफ्ट सिंचाई योजनाओं को ग्राम पंचायत समितियों के माध्यम से संचालित किया जाए, जिससे स्थानीय भागीदारी बढ़े और संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित हो। इसके साथ ही उन्होंने सिंचाई अनुसंधान संस्थान को राज्य में सिंचाई क्षमता वाले क्षेत्रों और अच्छी कृषि भूमि की पहचान करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नहरों की मरम्मत कार्यों में भी प्राथमिकता तय की जाए और जिन क्षेत्रों में सिंचाई की मांग अधिक है, वहां पहले कार्य किया जाए।
सौर ऊर्जा को मिलेगी बढ़ावा
ऊर्जा व्यय को कम करने के उद्देश्य से मुख्य सचिव ने नलकूप एवं लिफ्ट नहर जैसी योजनाओं में सौर ऊर्जा संयंत्रों के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। उन्होंने सिंचाई विभाग की खाली पड़ी भूमि पर 1 मेगावाट क्षमता तक सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया। इससे विभाग के विद्युत बिलों में उल्लेखनीय कमी आएगी।
लघु सिंचाई विभाग को ड्रिप और स्प्रिंकल पद्धति पर ध्यान
लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई विधियों को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य के जलसंकटग्रस्त क्षेत्रों, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में, इन विधियों के प्रयोग से जल की बचत की जा सकती है और कृषि उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा चालित लघु सिंचाई योजनाएं विकसित करने के निर्देश दिए।
प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा और लक्ष्य निर्धारण
मुख्य सचिव ने जमरानी बांध, सौंग परियोजना और बलियानाला लैंडस्लाइड ट्रीटमेंट जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं के मासिक और साप्ताहिक अनुश्रवण के निर्देश सचिव और विभागाध्यक्ष स्तर पर दिए। उन्होंने विभाग की अल्पकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाओं के लक्ष्य बढ़ाने और उन्हें समयबद्ध रूप से पूर्ण करने की बात दोहराई।
उन्होंने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय परियोजना के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग की स्वीकृतियों को शीघ्र प्राप्त करने हेतु कार्यों में तेजी लाने का निर्देश भी दिया।
प्रस्तुत आंकड़े और योजनाएं
इस अवसर पर सचिव श्री आर. राजेश कुमार ने जानकारी दी कि राज्य में जल संचयन, संरक्षण, पेयजल, सिंचाई हेतु बांध, बैराज, जलाशय और चेक डैम आदि का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
जमरानी बहुउद्देशीय परियोजना: जून 2024 से प्रारंभ, मार्च 2030 तक पूर्ण करने का लक्ष्य। अनुमानित लागत ₹3808.16 करोड़।
सौंग पेयजल परियोजना: नवम्बर 2024 से प्रारंभ, दिसंबर 2029 तक पूर्ण करने की योजना। अनुमानित लागत ₹2491.96 करोड़।
सचिव ने यह भी बताया कि आई.आर.आई. रुड़की को जलागम विभाग द्वारा राज्य की वर्षा आधारित नदियों, जलधाराओं के पुनर्जीवन और उपचार कार्यों के प्रभावों का आकलन करने हेतु कार्यदायी संस्था के रूप में नामित किया गया है।
बैठक में सिंचाई विभाग से जयपाल सिंह, लघु सिंचाई विभाग से बृजेश कुमार तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।