उत्तराखंडराज्य

अनुरोध पत्र और प्रथम अपील को सकारात्मक दृष्टिकोण से लें – योगेश भट्ट

सूचना आयोग के प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन

देहरादून: उत्तराखण्ड सूचना आयोग में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने किया।
अधिनियम के कार्यान्वयन में आ रही व्यवहारिक परेशानियों के संबंध में अधिकारियों ने राज्य सूचना आयुक्त को अवगत कराया कि कई वार नागरिकों को स्पष्ट सूचनाओं की मांग न करके, घुमा-फिरा कर सूचना मांगी जाती है या परेशान करने की मंशा से एक की सूचना को वार-वार या भारी-भरकम सूचनाओं की मांग की जाती है जिससे सूचना प्रदान करने और शुल्क की गणना में बहुत अधिक समय लगता है।

कार्यालय में पर्याप्त स्टाफ न होना या अन्य स्टाफ के सहयोग प्रदान न किया जाना के कारण कई वार समय से नागरिकों को सूचना उपलब्ध नही करा पाते हैं।

योगेश भट्ट, राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारियों और विभागीय अपीलीय अधिकारियों से अधिनियम के तहत प्राप्त अनुरोध पत्र और प्रथम अपील को सकारात्मक दृष्टिकोण से लेने का आग्रह किया।

इस कार्य को अतिरिक्त बोझ के रूप कदापि न लिया जाए। सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रयोग न केवल आम नागरिकों के द्वारा किया जा रहा है बल्कि सरकारी कार्मिकों के द्वारा भी अधिनियम के तहत बहुतायत में सूचना की मांग की जा रही है।
नागरिकों के द्वारा जो भी सूचना मांगी जा रही हैं वह सूचना किसी न किसी उद्देश्य के लिए नागरिकों के द्वारा मांगी जाती हैं। सूचना प्रदान करने में जिन कार्यालय को परेशानी हो रही है वहीं या तो अभिलेखों का उचित रख-रखाव का आभाव है या उनके कार्य करने की प्रक्रिया में एकरूपता का अभाव है।

अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी रूप से अनुपालन हेतु लोक सूचना अधिकारियों और विभागीय अपीलीय अधिकारियों का प्रशिक्षित होना जितना आवश्यक है उतना ही कार्यालय में रखे जाने वाली फाइलों का उचित रख-रखाव किया जाना।
अधिकांश प्रकरणों में यह देखा गया है कि अभिलेखों का उचित रखरखाव न होने के कारण लोक सूचना अधिकारियों को सूचना प्रदान करने में विलम्ब होता है। नागरिकों के द्वारा प्रायः ऐसी प्रकरणों से संबंधित सूचनाओं की मांग की जा रही है जिसमे या तो फाइल नियमानुसार तैयार नहीं की गयी है या फाइल मिल नहीं रही है।

योगेश भट्ट के द्वारा समस्त लोक प्राधिकारियों से अधिनियम की धारा (4) का अनुपालन और अधिनियम की धारा (4) (1) (बी) के तहत तैयार किए जाने वाले मैनुअल को ससमय अध्यावधिक किए जाने के निर्देश भी दिए गए। जिससे अधिक से अधिक सूचनाएं नागरिकों के वेबसाइट के माध्यम से या मैनुअल से प्राप्त हो जाएगी।
यदि समस्त लोक प्राधिकारियों द्वारा उपलब्ध संसाधनों के अधीन रहते हुए अधिक से अधिक सूचना का स्वःप्रकटन कर दिया जाता है तो नागरिकों के द्वारा इस अधिनियम का प्रयोग नहीं किया जाएगा और सूचना का अधिकार अधिनियम एक मात्र ऐसा अधिनियम है जिसका लक्ष्य ही यह है कि

नागरिकों को स्वतः सूचनाएं प्राप्त हो जाएगा और अधिनियम के तहत सूचना मांगने की आवश्यकता न पडे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु श्री रज़ा अब्बास, सचिव और सुश्री युक्ता मिश्र, उप सचिव और रिर्सोस पर्सन की प्रशंसा की गयी।

आयोग के द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 56 विभागों के 2500 से अधिक लोक सूचना अधिकारियों और विभागीय अपीलीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया ।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों और आरटीआई ऑनलाइन पोर्टल पर प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों तथा प्रथम अपीलों के समयक निस्तारण के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

उत्तराखण्ड सूचना आयोग के सभागार में 500 से अधिक अधिकारियों के द्वारा व्यक्तिगत रूप से और 2000 से अधिक अधिकारियों द्वारा गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन प्रतिभाग किया गया।
रिसोर्स पर्सन टी. एस. बिष्ट, कुँवर सिंह रावत एवं वी.एम. ठक्कर के द्वारा सूचना के अधिनियम के प्रावधानों को माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय के निर्णयों तथा डी.ओ.पी.टी भारत सरकार और उत्तराखण्ड शासन के द्वारा समय-समय पर जारी सूचना के अधिनियम के निर्देशों का संदर्भ देते हुए प्रतिभाग करने वाले अधिकारियों से चर्चा करते हुए अधिकारियों के प्रश्नों का समुचित जवाब दिया गया।
प्रशिक्षण के मध्य अधिकारियों के द्वारा प्रमुखता से बार-बार सूचना मांगने वाले आवेदकों, एक ही प्रकार के सूचनाओं को बार-बार मांगे जाने, आवेदकों के द्वारा भारी-भरकम सूचना मांगे जाने पर ससमय शुल्क की मांग की जा सके, व्यक्तिगत / निजी सूचना की मांग किए जाने, ई-मेल के माध्यम से सूचना मांगे जाने, परिवार के सदस्यों के द्वारा निजी सूचना मांगे जाने पर सूचना दिया जाना जैसे प्रश्नों को बहुतायत संख्या में पूछा गया।

आर०टी०आई० ऑनलाइन पोर्टल के उपयोग तथा उस पर प्राप्त होने वाले सूचना अनुरोध पत्रों एवं प्रथम अपीलों के समुचित निस्तारण से संबंधित प्रकिया के संबंध में राजेश नैथानी, निजी सचिव तथा सौरभ कुमार, समीक्षा अधिकारी के द्वारा सभी प्रतिभागियों को लाइव डेमो के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

 

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