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बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव जनविरोधी- कांग्रेस

  • बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव पारित
  • उपभोक्ताओं का होगा शोषण: यशपाल आर्य
  • उत्तराखण्ड में 16.23% बिजली दर वृद्धि प्रस्ताव पर कांग्रेस हुई मुखर

देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऊर्जा निगम बोर्ड ने बिजली दरों में 16.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को पास कर दिया है। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में बिजली उपभोक्ताओं पर भारी मार पड़ने वाली है। उन्होंने कहा कि आम जनता पहले ही महंगाई से परेशान है, ऐसे में बिजली बिल में भारी बढ़ोतरी से घरेलू बजट बिगड़ना तय है।

आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा बिजली की दरें बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की मेहनतकश जनता पर महंगाई का और बोझ बढ़ेगा तथा उनका जीवन और अधिक कठिन होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जिन लोगों ने बिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए गांव, शहर और अपनी संस्कृति तक को खोया, आज उन्हें ही महंगी बिजली खरीदने को मजबूर किया जा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार पहले गुणवत्तायुक्त बिजली उपलब्ध कराए। न पर्याप्त बिजली मिल रही है और न ही उचित मेंटेनेंस हो रहा है। ऐसे में शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव बेमानी है और सरकार को इस पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ओर देश में घटती आय और कम मांग के कारण उत्पादकता दर नीचे जा रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं। इससे व्यापारी और आम जनता दोनों त्रस्त हैं। उत्तराखंड में बिजली दर बढ़ने से निवेशक और दूर होंगे।

आर्य ने आरोप लगाया कि ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारी महंगे दामों पर बिजली खरीद रहे हैं, जो जांच का विषय है। ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद यहां की जनता को महंगी बिजली देना सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। राष्ट्रीय स्तर पर रसोई गैस, पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्य पदार्थों के बढ़ते दामों के बीच राज्य सरकार द्वारा बिजली की दरों में भारी वृद्धि का प्रस्ताव जनता पर महंगाई का दोहरा बोझ डाल रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश की जनता अब ऐसी डबल इंजन सरकार का विकास नहीं चाहती, जो जनता की जेब पर दिन-रात डाका डालने का काम कर रही है। बिजली दरों में लगातार वृद्धि आम नागरिक की जेब पर सीधा प्रहार है। यह वृद्धि विकास नहीं, बल्कि शोषण का प्रतीक है।

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