उत्तराखंडराज्य

Mehfil-e-Ghazal: ग्राफिक एरा में छाया गायक राजेश सिंह की आवाज का जादू

 बेच दी क्यों जिंदगी दो चार आने के लिए…

देहरादून: ग्राफिक एरा की महफिल- ए- ग़ज़ल में प्रख्यात गायक राजेश सिंह की आवाज और अंदाज का जादू सम्मोहन की तरह छा गया। आज की शाम राजेश सिंह की लोकप्रिय ग़ज़लों से गुलजार रही।

गायक राजेश सिंह ने ग्राफिक एरा की भव्य महफिल का आगाज अपनी लोकप्रिय ग़ज़ल “बेच दी क्यों जिंदगी दो चार आने के लिए, दौड़कर दफ्तर गए भागे वहां से घर गए, लंच में फुर्सत नहीं है लंच खाने के लिए….कुछ समय घर के लिए भी अब निकालो दोस्तों दिन बहुत थोड़े बचे हैं घर बचाने के लिए…” के साथ किया। उन्होंने श्रोताओं के अनुरोध पर एक के बाद एक कई ग़ज़लें सुनाईं।

श्री राजेश की ग़ज़ल “मेरे बचपन का कोई दोस्त आता है अगर मिलने तो उसके दिल में पहले सा अपनापन ढूंढता हूं मैं, नए घर में पुराने घर का आंगन ढूंढता हूं मैं, कभी जब गांव जाता हूं मैं…”, “थोड़ी सी देर खुद को समझने में क्या हुई, ताउम्र अपने होने का होता रहा गुमां, सारा कसूर उसका है, कहता था जाने जां बोला तुम्हें भी इश्क है, तो हमने कह दी हां सारा कसूर उसका है…” ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।समारोह में ग़ज़लों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो देर रात तक चलता रहा। उन्होंने अपनी ग़ज़लों “कुछ बातों के मतलब है और कुछ मतलब की है बातें, जो यह फर्क समझ लेगा वह दीवाना तो होगा, कल रास्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा ,याद उसे एक अधूरा अफसाना तो होगा…”, “मौत और जिंदगी में सोचो तो एक धड़कन है फैसला यारों, तेज चलने लगी हवा यारों, जब भी कोई दिया जला यारो…” पर भी खूब वाहवाही लूटी। ग़ज़लों के साथ ही श्री राजेश सिंह ने मशहूर नगमें सुनाकर खूब तालियां बटोरी। उन्होंने लोकप्रिय नगमें- ले देके मेरे पास हैं कुछ दिल की धड़कनें, तोहफा ये आखिरी मेरा, अब तो कुबूल ले, देने तो फिर ये आखिरी सौगात हो ना हो शायद फिर इस जन्म मुलाकात हो ना हो…., ये वक्त की फितरत है माहौल बदल देगा, खुशियों ने जो छोड़ा है तो दर्द भी चल देगा… जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है… सुनाईं, तो विशाल कंवेंशन सेंटर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने साहिर लुधियानवी का गीत – कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए… गाकर भी अपनी आवाज का जादू चलाया।

गायक राजेश सिंह की टीम के सदस्यों धीरज कुमार डोंगरे, कन्हैया सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह चौहान व सत्य नारायण मुदलियार ने वाद्ययंत्रों पर उनका बखूबी साथ निभाया।

इससे पहले, ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि समय के साथ परम्पराओं का बदलना जरूरी है। 21 साल कवि सम्मेलन करने के बाद यह बदलाव समय की मांग है। केवल करने के लिए ही चीजें नहीं करनी चाहिएं। ग्राफेस्ट को देश का सबसे बड़ा उत्सव बनाने के उद्देश्य से इस बार छात्र-छात्राओं के लिए ऐसी प्रतियोगिताएं रखी गई हैं, जिनसे उनका आत्मविश्वास बढ़े और स्टेज फियर कम हो। ग्राफेस्ट में 32 लाख से 35 लाख तक के नकद पुरस्कार दिये जाएंगे।

महफिल ए ग़ज़ल में ग्राफिक एरा ग्रुप के मुख्य संरक्षक श्री आर सी घनशाला, अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी घनशाला, ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की वाइस चेयरपर्सन डॉ राखी घनशाला, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी के एनआईसी ट्रेनिंग हैड व एनआईसी के सीनियर डायरेक्टर विनोद कुमार तनेजा, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ राकेश कुमार शर्मा और पदाधिकारीगण, शिक्षक और छात्र-छात्राएं शामिल हुये।

 

 

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