उत्तराखंड में बेकाबू हो रही आग, CM धामी ने बुलाई हाई लेवल मीटिंग
देहरादून: राज्य में पेयजल वन अग्नि और चार धाम यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राज्य के वरिष्ठ अफसर के साथ वार्ता की करीब डेढ़ घंटे तक चली। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने कई अहम दिशा निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि वन अग्नि को रोकने के लिए स्थानीय लोगों की मदद बेहद जरूरी है । साथ ही शासन यह भी अपील करता है कि कृपया जंगलों में आग न लगाए चार धाम यात्रा के लिए भी प्रशासन पूरी तरह तैयार है । सभी जिले से जिलों के बड़े अफसर ऑनलाइन के माध्यम से भी जुड़े थे इसके साथ-साथ पेयजल के लिए भी लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म प्लान तैयार किया जा रहा है। जल्द ही पेयजल की समस्या से भी निजात मिलेगी चार धाम यात्रा को इस बार पॉलिथीन फ्री बनाने का निर्णय भी निर्णय लिया गया है साथी साफ-सफाई पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
साथ ही यात्रा मार्ग की सभी सड़क दुरुस्त की जाएंगे। वन विभाग के मुखिया धनंजय मोहन ने बताया है कि इस बार जो जंगल में आग लगने की घटनाएं प्रदेश में हुए वह सर्वाधिक हैं और इसमें कई बड़ी घटनाएं ऐसी भी हैं जो लोगों द्वारा लगाई गई है लोगों से अपील की जा रही है कि जंगलों में आग ना लगाए। प्रदेश के ऐसे जिले जहां अभी तक अग्निकांड की घटनाएं नहीं घटित हुई है वहां पर भी वन क्षेत्र पर विशेष निगाह रखी जा रही है और मुख्यालय के अफसर को भी आज रवाना किया जा रहा है।
उत्तराखंड में शुक्रवार को जंगलों की आग और भड़क गई। 24 घंटे के भीतर वनाग्नि की 64 घटनाएं सामने आई हैं। वहीं, सोमेश्वर के स्यूनराकोट के जंगल में लगी आग दो नेपाली परिवारों पर भारी पड़ी है। जंगल की आग की चपेट में आने से एक श्रमिक की बृहस्पतिवार को मौके पर ही मौत हो गई थी।
दूसरे श्रमिक ने बृहस्पतिवार देर रात बेस अस्पताल में तो महिला श्रमिक ने हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल (एसटीएच) में दम तोड़ दिया है। एक और महिला श्रमिक का हल्द्वानी में इलाज चल रहा है। अब शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि रोकथाम को लेकर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। शुक्रवार को प्रदेश में सामने आई वनाग्नि की 64 घटनाओं में गढ़वाल में 30, कुमाऊं में 29 और वन्यजीव क्षेत्रों में पांच घटनाएं शामिल हैं। 24 घंटे के भीतर 74.67 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया।अब तक प्रदेश में 868 घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें गढ़वाल में 344, कुमाऊं में 456 और वन्यजीव क्षेत्रों में 68 घटनाएं शामिल हैं। इनमें कुल 1085.998 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ चुका है।